
एस0डी0 शुक्ला
मध्य प्रदेश। नवंबर में मध्य प्रदेश में विधान सभा चुनाव होने है। SC/ST एक्ट को लेकर हुए दलित आंदोलन और फिर सवर्ण आंदोलन सबका केंद्र प्रदेश बना रहा है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटकर केंद्र सरकार ने SC/ST एक्ट को जो मजबूती प्रदान की थी अब उसके चुंगल में स्वयं प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान फँसते दिख रहे हैं।
चुनाव के चलते चौहान प्रदेश भर में जनआशीर्वाद यात्रा निकाल रहे है। आरोप है कि जब उनकी यात्रा 2 सितंबर को सीधी जिले की चुरहट विधान सभा सीट पहुची तब वहां के नेहरु चौक पर कांग्रेसी की महिला नेता अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रही थी। आरोप है अपने यात्रा पथ में व्यवधान उत्पन्न होता देख शिवराज सिंह चौहान ने आदिवासी महिला को अपशब्द कहे और जान से मारने की धमकी भी थी। ये भी आरोप है कि मुख्यमंत्री जी ने पुलिस अधिकारी द्वारा महिला की पिटाई करवाई और जातिसूचक शब्दो का प्रयोग कर अपमान भी किया। अपने FIR मे महिला ने क्या क्या कहा वो आप यहां पढ़ सकते है।
गौरतलब है कि इसी रैली में शिवराज सिंह को सवर्णों के गुस्से का भी सामना करना पड़ा था। काले झंडे दिखाने, पथराव होने से लेकर चप्पल तक शिवराज की रैली पर फेंकी गई थी, जिंसको मुख्यमंत्री जी ने अर्जुन सिंह के पुत्र अजय सिंह द्वारा करवाई गई घटना बताया गया था।
सवाल उठता है कि 2 सितंबर की घटना पर कांग्रेसी नेत्री ने 8 सितंबर को FIR क्यों कराई। प्रथम दृष्टया ये राजनीति से प्रेरित मामला लगता है। खैर इससे ज्यादा महत्वपूर्ण बात ये है कि क्या पुलिस, मुख्यमंत्री के खिलाफ वैसी ही करवाई करेगी जैसे किसी आम सवर्ण के खिलाफ होती sc/st एक्ट के तहत? जातिसूचक शब्दो के प्रयोग पर तुरन्त गिरफ्तारी का प्रावधान है। स्पेशल कोर्ट में केस चलता है। जमानत निचली अदालत से नहीं मिलती।
क्या शिवराज सिंह चौहान को भी जमानत के लिए जबलपुर हाई कोर्ट की शरण मे जाना पड़ेगा ? या मुख्यमंत्री होने के नाते कुछ विशेष छूट मिलेगी। SC/ST एक्ट बीजेपी के लिए गले की फांस बन गया है। जहां एक तरफ उसका परंपरागत सवर्ण वोटर नाराज़ है वहीं दूसरी तरफ दलित एक्ट के खिलाफ सवर्ण आंदोलन को हवा देने का आरोप भी विपक्षी दलित नेता उस पर लगा रहे है।